इलेक्ट्रिक वाहन कितने पर्यावरण के अनुकूल है ? (How Green is electric vehicles)

वर्तमान के कार्बन डाइआक्साइड उत्सर्जन की मात्रा के अनुपात मे कहा जाय तो इलेक्ट्रिक वाहन पारंपरिक वाहनों की अपेक्षा पर्यावरण के ज्यादा अनुकूल है। लेकिन इलेक्ट्रिक वाहनों का अभी भी काफी पर्यावरणीय प्रभाव है। निम्नलिखित लेख से इस तर्क को समझने मे आसानी होगी …

नीचे दर्शाये चार्ट के अनुसार विभिन्न आर्थिक क्षेत्रों मे सबसे ज्यादा CO2 का उत्सर्जन बिजली उत्पादन मे होता है, और दूसरा बड़ा क्षेत्र यातायात है। और दूसरे चार्ट के अनुसार यातायात क्षेत्र मे बहुत ज्यादा (75%) CO2 उत्सर्जन के लिए औटोमोबईले तथा भारी वाहन जिम्मेदार है।

वर्तमान मे सारी दुनिया उपरोक्त सभी क्षेत्रों CO2 उत्सर्जन कम करने मे विभिन्न उपाय कर रही है। और इसी कड़ी मे यातायात और औटोमोबईले क्षेत्र मे भी नए-नए प्रयोग किए जा रहे है। 

दुनिया भर मे, सरकारे वाहनों से होने वाले जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए पारंपरिक पेट्रोलियम वाहन के विकल्प के रूप मे प्रमुख तकनीक इलेक्ट्रिक वाहनों को हर संभव सहायता प्रदान कर रही है। और बढ़ावा देने के लिए विभिन्न नीति व नियमों से छूट का प्रलोभन दे रही है।   कई कंपनियां इस ओर पूरी गति से कम भी कर रही है……

  • जनरल मोटर्स के अनुसार उसका लक्ष्य 2035 तक पेट्रोलियम ईंधन से चलने वाली नई कारों और हल्के ट्रकों की बिक्री बंद करना है और यह बैटरी से चलने वाले मॉडल की ओर जाएगा।
  • टाटा मोटर्स इलेक्ट्रिक वाहनों को मुख्यधारा बनाना चाहती है, वित्त वर्ष 2023 में 50,000 वार्षिक बिक्री का लक्ष्य रखा है।
  • वोल्वो ने कहा कि यह और भी तेजी से आगे बढ़ेगा और 2030 तक पूरी तरह से इलेक्ट्रिक लाइनअप पेश करेगा।

लेकिन जैसे-जैसे इलेक्ट्रिक वाहन मुख्यधारा में आते हैं, उन्हें लगातार एक सवाल का सामना करना पड़ता है कि  क्या वे वास्तव में उतने ही Green हैं जितने कि विज्ञापित है?

जबकि विशेषज्ञ मोटे तौर पर सहमत हैं कि इलेक्ट्रिक वाहन पारंपरिक वाहनों की तुलना में अधिक जलवायु-अनुकूल विकल्प हैं, फिर भी उनके अपने पर्यावरणीय प्रभाव हो सकते हैं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि उन्हें कैसे चार्ज और निर्मित किया जाता है।

अर्थात..

इलेक्ट्रिक वाहन बनाने, परिवहन और चार्ज करने मे उपयोग होने वाली बिजली कैसे निर्मित होती है ये तय करेगा कि कितनी CO का उत्सर्जन वास्तव मे कम हो रहा है। इसका सीधा मतलब ये है कि यदि बिजली पारंपरिक तरीके से पैदा कि जा रही है तो ये तकनीक कम प्रभावशाली होगी।

चुकी वर्तमान सरकारे अपारंपरिक विदूत उत्पादन को भी उतना ही महत्व दे रही है जितना कि इलेक्ट्रिक वाहनों को, ये कहा जा सकता है कि निकट भविष्य मे ये सारे उपाय जलवायु परिवर्तन को रोकने मे कारगर जरूर सिद्ध होंगे।

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