भारत मे इलेक्ट्रिक वाहनों का भविष्य

वर्तमान परिस्थिति मे पेट्रोलियम का सबसे उत्तम विकल्प इलेक्ट्रिक वाहन ही प्रतीत होता है, परंतु अभी भी इस तकनीक मे बहुत से कमियों है। जिनका समाधान ही इसका भविष्य तय करेगा।

भारत मे निम्नलिखित कारणों/कमियों के समाधान से ही इलेक्ट्रिक वाहनो भविष्य निर्धारित होगा

  • नियम एवं कानून:

सबसे प्रमुख समस्या यह है कि बड़े शहरों को छोड़कर पूरे भारत मे ट्रैफिक नियमों और पर्यावरण संबंधी कनूनों का सख्ती से या बिल्कुल ही पालन नहीं हो रहा है। और यही कारण है कि पुराने या अयोग्य (unfit) वाहनों का लंबे समय तक (वाहन के जीवन सीमा से अधिक) उपयोग तथा पर्यावरण कि उपेक्षा इलेक्ट्रिक वाहनों या नए वाहनों कर मार्ग मे बाधक है।

  • नजरिया / मानसिकता (Mindset):

वैसे तो बहुत से पारंपरिक एवं नए निर्माता इलेक्ट्रिक वाहनों का उत्पादन शुरू कर चुके है और बाजार मे बिक्री भी प्रगति पर है। परंतु जैसा हमेशा होता है कि नई तकनीक को परिपक्व होने से पहले बहुत से समस्याओ का सामना करना पड़ता है। और जो हर निर्माता के वाहनों के साथ हो रहा है, इससे उपभोक्ताओ का विश्वास इन वाहनों मे कम है। जब पारंपरिक वाहनों का विकल्प उपलब्ध है उनका झुकाओ इलेक्ट्रिक वाहनों कि ओर कम है।

  • आधारभूत संरचना (इन्फ्रस्ट्रक्चर):

पर्याप्त चार्जिंग स्टेशन का न होने से इलेक्ट्रिक वाहन से लंबी यात्रा सुरक्षित नहीं है, और भारतीय वाहन का उपयोग मनचाहे रूप मे नहीं कर पाने कि स्तिथि मे पारंपरिक वाहनों के साथ ही रहना पसंद करेंगे। कम से कम जब तक पेट्रोलियम उत्पाद उपलब्ध है। इस समस्या का समाधान एक व्यापक रूप मे सरकार और निजी कंपनियों को मिलकर खोजना होगा। दूसरी समस्या खासकर दो पहिये वाहनों कि है, एलेक्ट्रिक २ व्हीलर कि ताकत (power) का कम होना और अधिक पानी मे खराब होने कि संभावना को देखते हुए शहरों और शहरों के बाहर कि सड़कों को भी अच्छे और उन्नत करने कि आवश्यकता है।

  • कीमत:

आज कि स्तिथि मे अच्छे इलेक्ट्रिक वहनों कि कीमत पारंपरिक वाहनों से अधिक है। खासकर अगर बैटरी बदलना पड़े तो बहुत अधिक है। एक सामान्य भारतीय किसी भी उत्पाद को उसके कीमत पर भी तुलना करता है। और विडंबन ये है कि हर निर्माता भारत मे इलेक्ट्रिक वाहन का पहला और विशेष लाभ बचत ही बताते है (ईधन कि बचत)। जो कि पूरी तरह से सच नहीं है कम से कम आज तो नहीं (भविष्य मे संभव हो सकता, अगर बैटरी तकनीक सुधरती है तब)। इसका एकमात्र कारण है लिथियम बैटरी, जैसा कि ज्ञात है अपनी उच्च क्षमता, हल्का होना और फास्ट चार्जिंग जैसे बहुत सारे गुणों के साथ–साथ ये बहुत महंगा होता है। आमतौर से वाहन के कीमत का लगभग ३०-३५% बैटरी का होता है। बैटरी कि क्षमता समय तथा गर्मी के कारण कम होती जाती है, और लगभग ३ – ५ साल मे बदलनी पड़ेगी।

  • नई तकनीक तहत अन्य विकास:

ये तो हम जानते है कि ये काफी नई तकनीक है और अभी और विकसित हीगी या हो रही है, लेकिन समानांतर मे कई अन्य तकनीकों पर भी शोध हो रहा है जैसे सोलर ऊर्जा, हइड्रोजेन सेल तकनीक आदि। अतः संभावनए अनेक है

उपरक्त अलग-अलग क्षेत्रों के विवरण से ये कह सकते है कि सभी क्षेत्रों मे विकास कि जरूरत है जो कि हो रहा है। खासकर भारतीय सड़कों का बहतेर निर्माण, कार और २ व्हीलर निर्माताओ के शोध और बैटरी टेक्नॉलजी का विकसित करने कि दिशा मे विभिन्न संस्थाओ द्वारा किया जा रहा काम।

निष्कर्ष: जब तक वाहनों मे दूसरी अपारंपरिक तकनीक सतह पर नहीं आती है इलेक्ट्रिक वाहन ही आटोमोबाइल क्षेत्र का भविष्य है विश्व मे और भारत मे भी।

भारत सरकार ने EVs को प्रोत्साहित करने के लिए कई पहलें की हैं, जैसे:

  • FAME India Scheme: FAME (Faster Adoption and Manufacturing of Hybrid and Electric Vehicles) India Scheme 2015 में शुरू हुई, जिसका मुख्य उद्देश्य EVs की मानकीकरण, प्रोत्साहन, प्रसार, प्रशिक्षण, परीक्षण, सुरक्षा, संरक्षण, संसाधन
  • National Electric Mobility Mission Plan 2020: National Electric Mobility Mission Plan 2020 2013 में लॉन्च हुआ,
  • GST Reduction: GST (Goods and Services Tax) Council 2019 में EVs पर GST rate 12% से 5% कर दिया है। EVs के chargers पर GST rate 18% से 5% कर दिया है।
  • Income Tax Deduction: Income Tax Act 1961 में Section 80EEB 2019 में introduce हुआ, जिसमें EVs loan पर interest payment up to Rs. 1.5 lakh per annum tax deduction मिलता है।
  • State Policies: कुछ states (Delhi, Maharashtra, Karnataka etc.) में EVs purchase पर subsidy, road tax exemption, registration fee waiver etc. provide किया जा रहा है।

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